“ सरस्वती वंदना ”
हे वीणापाणि ,हे शारदे
अज्ञानता से हमें तार दे -----
हर कर तम मेरी मेधा का
मेरी प्रज्ञा को धवल कर दे
भर दे उजाला अन्तस् में
विद्या का तू वरदान दे --
हे वीणापाणि, हे शारदे
अज्ञानता से हमें तार दे---
दीप्त करो एक दीपक माँ
ह्रदय को मेरे आलय कर दो
ज्योत जले ज्ञान की इसमें
इस दीप से जग उजियारा हो---
हे वीणापाणि, हे शारदे
अज्ञानता से हमें तार दे----
अलख जगे मति,विवेक की
हर विधा का उत्कर्ष हो
नित नवीन ज्ञान सृजित हो माँ
जिससे आलोकित सारा जग हो-----
हे वीणापाणि, हे शारदे
अज्ञानता से हमें तार दे---
गुंजन हो सारे जग में माँ
धर्म,नीति की ऐसी रसधार बहे
ज्ञान, विज्ञान,तकनीकी में
राष्ट्र की अलग पहचान बने
हे वीणापाणि, हे शारदे
अज्ञानता से हमें तार दे-----
प्रखर हो जाये स्वर मेरा
सकल धरा मेरी आवाज सुने
बनूँ प्रतीक नारी शक्ति की
कुछ ऐसा तू वरदान दे----
हे वीणापाणि, हे शारदे
अज्ञानता से हमें तार दे----
लेखक : आशा झा सखी
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