कविता " ज्यूँ ही आता है वसंत ”

 


कविता
" ज्यूँ ही आता है वसंत ”

ज्यूँ ही आता है वसंत,
दे जाता हमें खुशियाँ अनंत,
ह्रदय मानो खिल जाता है,
लोगो को ये मौसम भाता है|

सूरज की चमक बढ़ जाती,
चारो और फूल लहराती,
बच्चों में उल्लास की भावना होती,
बड़ो में एक अलग सी कामना होतीl

हो जाती है उमंग की और भी बौछार,
क्यूंकि इसी बीच आ जाता माँ शारदे का त्यौहार,
माँ को खुश करने में जुट जाते है लोग,
माता की आरती में लगते लाखों भोग|

वीणा है माता के हाथ में,
मुसीबत में होती माँ साथ में|
हर साल की तरह माँ,
इस साल है तुझसे यही निवेदन,
जल्द ठीक हो जाये सबकुछ,
जो हम पर लगी है इतनी बंधन|

लेखक : शुभाशीष रंजन (SR36)



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