बेटी की दुआ

“ बेटी की दुआ ”

मुझे भी जनम लेने देना माँ तुम इस खुशहाल से भरी सुंदर दुनिया में

लडकी हुई तो क्या हुआ अपना लेना तुम भी मुझे एक लक्ष्मी समजके

नाम में भी अपने माँ बाप का इस दुनिया में रोशन करके दिखलाऊंगी

घरका ना बन सकू चिराग चाहे इस घर कि बनके एक पणती जाऊंगी

मुझे भी देखने दे ये दुनियादारी सारी रितिरिवाजो से भरी हुई है जो पडी

माँ ना आना तुम बातो में उनके साथ यहा देना मेरा हर बदलते हुए घडी

मुझे भी चाहीये वो खुशी बनू माँ की लाडली और कहलाऊ पापाकि परी

क्या दोष है मेरा ये तो बतलाओ मुझे क्यो रोंधा जा रहा मुझे पेट में यही

बेटी होना क्या पाप है यहा ना जाने समाजमें छुपा हुआ  क्या राज है यहा

माँ, बेहन और पत्नीया यहा चाहीये सबको तो क्यो शिकवा है बेटी से यहा

गणेश पाटील 


 

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