खुशियाँ छिपी होती है , हारना - जीत का आइना

 


लघु कविता

खुशियाँ छिपी होती है ।

ना गहनों में, ना पैसो में, ना हालातों में  !

खुशियाँ तो छिपी होती है, बस छोटी - छोटी बातों में  !!

ना किसी के जाने में, ना किसी के  होने में  !

अगर खुश रहना चाहोंं, तो खुशियाँ छिपी होती है ....दिल के हर एक कोने में  !!

कोई ठिकाना नहीं इनका, ये हर जगह होती है  !

इधर - उधर क्या ढूँढते हो जनाब, खुशियाँ तो हमारे भीतर ही होती है  !!


(2)

"हारना - जीत का आइना"


जीत का विलोम नहीं, हिस्सा है हारना  !

यही तो दिखाता हमें, जीत का आइना  !!

हारों चाहे कुछ भी, पर हिम्मत कभी ना हारना  !!!

असफलता चाहे कितनी बार मिले, पर कभी भी हार नहीं मानना  !!!!

डटकर करना हर चुनौती का सामना  !

संघर्ष का मैदान छोड़ कभी मत भागना  !!

हासिल कर सकते तुम, जो भी तुम चाहो, इस सच को पहचानना  !!!

जीवन में परिस्थितियाँ कैसी भी आए, पर तुम कभी हार मत मानना  !!!!

-    सिल्की जैन

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