चाहा कर भी चाहा ना पाया



 शायरी

चाहा  कर भी चाहा ना पाया

था एक तरफा प्यार

 कहकर भी

 कह ना पाया ।

  बारिशों में छुपकर जिस कदर रोया हूं मैं

 कभी तुमको भी रोना पड़ेगा

 सिर्फ मेरा टूटना काफी नहीं

 तुमको भी टूटना पड़ेगा।

निशायर 

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