शायरी
चाहा कर भी चाहा ना
पाया
था एक तरफा प्यार
कहकर भी
कह ना पाया ।
बारिशों में
छुपकर जिस कदर रोया हूं मैं
कभी तुमको भी रोना
पड़ेगा
सिर्फ मेरा टूटना
काफी नहीं
तुमको भी टूटना
पड़ेगा।
निशायर
शायरी
चाहा कर भी चाहा ना
पाया
था एक तरफा प्यार
कहकर भी
कह ना पाया ।
बारिशों में
छुपकर जिस कदर रोया हूं मैं
कभी तुमको भी रोना
पड़ेगा
सिर्फ मेरा टूटना
काफी नहीं
तुमको भी टूटना
पड़ेगा।
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